धुँआ तो तब भी जायेगा छूके ये आसमाँ जब जले चिराग या फिर जलेसारा जहाँ।
प्रवाह हे चंचल फिर भी, चट्टानो को चीरना जानती है। इंसानो की क्या मिसाल,ये खुदा का हूक्म मानती है।
कलकल बहती चंचल नदियों की यही हे खता, उदगम न जाने हे ये , समंदर हे मंजिल का पता।
चौकोर हे चिल्लाहट, तनाव भरे नज़ारे हे। बिखरे पड़े हे ये दिल,सब आशिकी के मारे हे।
जिंदगी एक जुआ हे, कभी एक्का तो कभी रानी हे कभी हार तो कभी जीत, दोस्त यही तो जिंदगानी हे।
नवीनताओं के पंख हे, और सपने आसमानी हे कभी हार तो कभी जीत, दोस्त यही जिंदगानी हे।
सादगी भरी है जिंदगी , पर सोच हमारी अरमानी हे कभी हार तो कभी जीत, दोस्त यही तो जिंदगानी हे।
संस्कारो का पेड हे नया, पर छाया वही पुरानी है कभी हार तो कभी जीत, दोस्त यही तो जिंदगानी हे।
तेरे आँचल से लिपटी मेरी वो नादानी हे। मेरे प्यार की बस यही छोटी सी कहानी हे।